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कविता

बहुराष्ट्रीय

पंकज चतुर्वेदी


बहुराष्ट्रीय
कंपनियाँ ही नहीं
गद्य भी हो सकता है :
यह मैंने जाना
जब मैं एक लंबे निबंध से
छला गया


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हिंदी समय में पंकज चतुर्वेदी की रचनाएँ